अंडा उत्पादक मुर्गियों को पिंजरा मुक्त करने के लिए विचार कर रहे हैं
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“आप पिंजरा मुक्त प्रणाली का समर्थन क्यों कर रहे हैं … मुझे लगा था कि आपको मुर्गियों के कल्याण की परवाह है?”
मेरे पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीवविज्ञानी सहयोगी ने मुझसे यह तीखा सवाल पूछा और इसने मुझे शुरू में आश्चर्यचकित कर दिया। मेरे पशु समर्थक दिमाग को इसका तर्क साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था : हम सभी जानते हैं कि पिंजरे में कैद रहना कितना भयानक होता है और हम सभी को बता सकते हैं कि यह कितना कष्टदायी है, ऊपर बताए गए विकल्प को लागू करने से मुर्गियाँ मुक्त हो जाएँगी और खुशहाल, उच्च-कल्याणकारी जीवन जीएँगी – इसे समझ पाना क्या इतना मुश्किल है? हालाँकि, मेरा बौद्धिक दिमाग मुझे कुछ अलग तथ्य दिखाने वाला था।
पिंजरा बनाम पिंजरा मुक्त आवास प्रणाली: विज्ञान क्या कहता है?
उत्पादन की सुविधा और प्रभावशीलता के अलावा, मुर्गियों को पारंपरिक पिंजरों में बंद करने के समर्थकों ने दावा किया है कि मुर्गियों के लिए तुलनात्मक रूप से पिंजरे में रहना ज़्यादा लाभदायक होता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि वे कुछ मायनों में में सही भी हैं। मेरे सहयोगी ने इसका कारण समझाया, “पिंजरे से मुक्त व्यवस्था में मुर्गियां झुंड के माध्यम से फ़ैलने वाले रोगों और परजीवियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और पिंजरे में तुरंत दिखाई ना पड़ने के कारण ऐसी अवस्था में बीमारी की पहचान करना और बीमार पक्षियों का तुरंत इलाज करना मुश्किल हो जाता है”। विज्ञान की समीक्षाओं से पता चलता है कि पिंजरे से मुक्त प्रणाली में केवल रोग और परजीवियों का प्रसार ही मुर्गी कल्याण से संबंधित समस्याएँ नहीं हैं।
रोग के दृष्टिकोण से यह एक उचित मुद्दा अवश्य है (हालाँकि, उचित देखभाल और इलाज के ज़रिए यह काफ़ी हद तक प्रबंधनीय है)। लेकिन इन पक्षियों का अस्तित्व रोग और परजीवी संकटों के मौजूदा जोखिम से कहीं बढ़कर हैं। मनुष्यों की तरह, उनका कल्याण भी उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति, प्राकृतिक व्यवहारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता और जीवन में अपने विकल्प चुनने की क्षमता से प्रभावित होते हैं। सोचिए अगर हम मनुष्यों को अपना पूरा जीवन अपने घर में एक अलमारी में बंद होकर गुज़ारने के लिए मजबूर किया जाए तो। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें बीमारियाँ होने की संभावना कम हो जाएगी, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि हमारा समग्र कल्याण बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं होगा।
पारंपरिक पिंजरों में रखी जाने वाली मुर्गियों में गंभीर व्यवहार संबंधी प्रतिबंध, शारीरिक कमज़ोरी और सकारात्मक भावात्मक अवस्थाओं को अनुभव करने में असमर्थता होती है । कुल मिलाकर, भारित पशु कल्याण परिणाम यह है कि पारंपरिक पिंजरों से मुर्गियों को बाहर निकालना उनके समग्र कल्याण के पहलू से मुर्गियों के लिए अधिक बेहतर है, लेकिन पिंजरा मुक्त प्रणालियों में मुर्गियों का कल्याण अत्यधिक विविध है और प्रभावी प्रबंधन पर निर्भर करता है।
उत्पाद के लिए माँग का जवाब देना
अंडा उत्पादन प्रणालियों की सभी समस्याओं को हल करने का सबसे अचूक तरीका है कि मनुष्य अंडे खाना पूरी तरह बंद कर दे। लेकिन, वास्तव में दुनिया के अधिकांश लोग अंडे खाते हैं। पिछले 50 सालों में, दुनिया भर में अंडे की माँग माँस और डेयरी की तुलना में लगभग 4.5 गुना बढ़ी है – और यह कम होने के बजाय तेज़ी से बढती ही जा रही है। इस भारी माँग को बेहद किफ़ायती और प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए दुनिया भर में अधिकांश अंडा उत्पादक पारंपरिक पिंजरों का उपयोग करते हैं।
समस्या यहीं पर है। क्या अंडा उत्पादक इस मुद्दे पर विचार करने के लिए तैयार हैं और मुर्गी कल्याण को बढ़ाने के लिए समाधान पेश करने में रुचि रखते हैं? क्या उन्हें एक ऐसी प्रणाली को छोड़ने के लिए राज़ी किया जा सकता है जिसके बारे में हम जानते हैं कि यह उन प्राणियों पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालता है जिन पर वे निर्भर करते हैं? हमने यह सवाल इसलिए पूछा क्योंकि यह हमें चैन की नींद सोने नहीं दे रहा है।
एशिया के अंडा उत्पादकों से सबक लेना
एशिया में ( दुनिया में सबसे बड़ा अंडा उत्पादन क्षेत्र ) पहली बार किए जाने वाले इस असामान्य अध्ययन में हमने चीन, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड में 165 पिंजरा-आधारित प्राणाली का पालन करने वाले उत्पादकों से संपर्क किया ताकि पिंजरा मुक्त प्रणाली में बदलाव करने की संभावना की जाँच की जा सके। न केवल वे हमारे अध्ययन में सहर्ष भाग लेने के लिए सहमत हुए बल्कि उनमें से अधिकांश (65%) ने सहमति भी जताई कि उनके देश में पिंजरा मुक्त प्रणाली को लागू करना मुमकिन है। पिंजरा प्रणाली को छोड़ने के लिए जनता का यह व्यापक समर्थन अविश्वसनीय होने के साथ-साथ बेहद आश्वस्त करने वाला है।
इसके अलावा, उत्पादकों ने पिंजरा-मुक्त प्रणाली में परिवर्तन करने के लाभ और कमियों के बारे में बात की, यहाँ तक कि उन परिस्थितियों के बारे में मूल्यवान जानकारी भी दी जिसके तहत वे परिवर्तन करेंगे – पशु कल्याण के स्रोत से सीधे महत्वपूर्ण “चीट-कोड” जानकारी। हालाँकि, उत्पादक इस बात से तुरंत सहमत हो गए थे कि पिंजरा मुक्त प्रणाली पशु कल्याण के लिए बेहतर थे, उन्होंने विशिष्ट और आला बाज़ारों तक पहुँच, ब्रांड की बेहतर छवि, बुनियादी ढाँचे के लिए कम निवेश लागत, बिक्री मूल्य में वृद्धि और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार का हवाला दिया, जो पिंजरा प्रणाली छोड़ने के लिए बेहद मज़बूत और प्रेरक कारण थे।
तो, उन्हें पिंजरा आधारित प्रणाली छोड़ने से क्या रोक रहा है? उन्होंने बताया कि पिंजरा मुक्त व्यवस्था, कम सघन तरीके से अंडे पैदा करने की लागत और बड़ी भूमि की उपलब्धता पर निर्भर करता है। ये उत्पादक भी मेरे सहयोगी की तरह, पिंजरा मुक्त प्रणाली के प्रबंधन और पक्षियों के झुंड में एक दूसरे के संपर्क में आने और पर्यावरणीय भिन्नता का सामना करने से होने वाली बीमारियों की रोकथाम जैसी समस्याओं के बारे में चिंतित थे।
सौभाग्य से अंडा उत्पादक इनमें से कुछ मुद्दों का समाधान सुझाने के लिए उत्सुक थे, जिसमें 200 से अधिक सुझाव प्रस्तुत किए गए और कुछ समाधान ठोस क़दमों की ओर इशारा कर रहे थे। इनमें से लगभग 40% समाधान अंडा उद्योग के विकास से संबंधित थे, जैसे कि खेतों में प्रबंधन प्रथाओं (जैसे खाद्य वितरण, झुंड के आकार और व्यवहार प्रबंधन) में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करना; रोग शमन, जैव सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा रणनीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करना; और पिंजरा मुक्त प्रणाली पर प्रशिक्षण प्रदान करना और पिंजरा मुक्त प्रणाली में परिवर्तन करने के लाभों के बारे में बताना। उद्योग के विकास के साथ-साथ, पेश किए गए समाधानों का लगभग 20% लाभ मार्जिन, लोगों द्वारा अंडे के लिए भुगतान की जाने वाली कीमत और पिंजरा मुक्त अंडों की माँग बढ़ाने सहित बाज़ार के विकास पर केंद्रित थे।
दुनिया भर में पिंजरा-मुक्त उत्पाद की माँग को बढ़ाना
उन्नत कल्याणकारी उत्पादों का बाज़ार तैयार करने के लिए, उपभोक्ताओं में इसके प्रति रूचि पैदा करना और उसे बढ़ाना आवश्यक है और यूरोप , यूके , यूएस और कनाडा के बाहर दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों के बारे में हमें बहुत कम जानकारी है कि लोग अंडे और मुर्गी कल्याण के बारे में क्या सोचते हैं। यह हमें एक और हालिया अध्ययन के निष्कर्षों पर ले जाता है जहाँ हमने 14 भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से विविध देशों (ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, चिली, चीन, भारत, मलेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, सूडान, थाईलैंड, यूके और यूएस) में अंडे का सेवन करने वाले लोगों का सर्वेक्षण किया था। यह पिछले फॉनालिटिक्स अध्ययन के निष्कर्षों का समर्थन करता है और हमने पाया कि लोगों का मानना है कि मुर्गियाँ दर्द और भावनाओं को महसूस कर सकती हैं।
इस अध्ययन में, हमने यह भी पाया कि दुनिया भर में ज़्यादातर लोग इस बात की परवाह करते हैं कि अंडे देने वाली मुर्गियों को कोई नुक्सान ना पहुँचें और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे उन मुर्गियों के अंडे ख़रीदना ज़्यादा पसंद करेंगे जिन्हें पिंजरे में नहीं रखा जाता है। इस निष्कर्ष में उन देशों के ग्राहक शामिल थे जहाँ पिंजरा मुक्त अंडे आसानी से उपलब्ध नहीं हैं और जहाँ अब तक बड़े पैमाने पर पिंजरा मुक्त अभियान नहीं चलाया गया है। यह अधिक कल्याणकारी उत्पादों के फलने-फूलने के लिए एक प्रमुख बाज़ार की बड़ी संभावना पैदा करता है।
इस तथ्य के बावजूद कि इस सर्वेक्षण में शामिल किए गए सभी देश आमतौर पर परंपरागत पिंजरा प्रणाली का उपयोग करते हुए (ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम को छोड़कर) अंडों का उत्पादन करते हैं, ज़्यादातर उपभोक्ता इस बात से अनजान थे कि उनके देश में अंडा उत्पादन के लिए प्रमुखतः किस तकनीक का उपयोग किया जाता है। इससे साफ़ पता चलता है कि ग्राहकों को भ्रमित होने से बचाने के लिए हमें इस अभियान से जुड़ी सामग्री की स्पष्टता और एकरूपता बढ़ानी होगी। कुल मिलाकर, इस अध्ययन ने दिखाया कि हालाँकि वर्तमान में वैश्विक अंडे की खपत कम नहीं हो रही है, जैसे-जैसे बाज़ार का विकास होगा, उपभोक्ताओं को अधिक कल्याणकारी उपायों को अपनाने के लिए राज़ी करने का महत्वपूर्ण मौका मिल सकता है।
सीमा के उस पार जाना
मुर्गियों के लिए वास्तविक परिवर्तन में तेज़ी लाने के लिए, अलग-अलग विचारों को समझना और इस मुद्दे में शामिल सभी हितधारकों को सुनना ज़रूरी है। हालाँकि पशु कल्याण और पशु संरक्षण का रास्ता हिमायत करने के नज़रिए से सीधा लगता है, लेकिन सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते समय ऐसा कम ही होता है। अब समय है अंडा उत्पादकों और अन्य हितधारकों के साथ बैठकर इन प्राणियों के कल्याण के मददेनज़र सबसे उचित विकल्प चुनने के लिए खुली, ईमानदार और सम्मानजनक चर्चा करने का। हमें अपने ज्ञान की सीमाओं को स्वीकार करते हुए समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
अंत में, अंडा उत्पादन की कोई भी प्रणाली सटीक नहीं है लेकिन सबूत लगातार दिखाते हैं कि पारंपरिक पिंजरा-आधारित प्रणाली मुर्गी कल्याण के लिए अधिक हानिकारक है। उत्पादकों ने हमें इन प्रणालियों के संभावित विकल्पों के बारे में जानकारी दी है और दुनिया भर के उपभोक्ताओं ने भी रूचि दिखाई है कि वे इस प्रणाली के लिए तैयार हैं। हमारे शोध में पाया गया कि उन्नत कल्याण मॉडल की ओर बढ़ने में उत्पादकों को जिन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, वे वास्तविक और बड़ी थीं – लेकिन उनसे पार पाना नामुमकिन नहीं है। अंडा उत्पादक इन प्राणियों का पिंजरा खोलने के लिए अपने सोचने का दायरा बढ़ा रहे हैं और इस पर विचार करने को तैयार हैं, अब यह हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम मिलकर इस प्रक्रिया को गति दें।
