उपभोक्ता मछलियों के कल्याण के बारे में परवाह करते हैं
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वैश्विक जलीय कृषि उद्योग – जिसमें मानव उपभोग के लिए मछलियों को पकड़कर पाला जाता है – सालाना 5.8% की दर से तेज़ी से बढ़ रहा है। जब इस उद्योग ने शुरुआत में विस्तार कर उड़ान भरना शुरू किया तो लोगों में मछली पालन तकनीकों का पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता भी बढ़ने लगी (जैसे, एंटीबायोटिक दवाओं और हॉर्मोन ज़मीन के नीचे पानी को दूषित करते हैं)। तब कई उपभोक्ताओं ने प्राकृतिक रूप से पकड़ी गई जंगली मछलियों को चुनना शुरू किया। लेकिन, इन मछलियों के लंबे तक टिकाऊ ना रह पाने के कारण उपभोक्ताओं ने दोबारा फार्म में पाली जाने वाली मछलियों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है।
चूंकि जलीय कृषि संचालन अधिक गंभीर और कठोर हो गए हैं, इस उद्योग में पशु कल्याण को लेकर चिंताएँ भी बढ़ गई हैं, विशेष रूप से यूरोपीय संघ में। इस अध्ययन में इस बात पर रौशनी डाली गई है कि जर्मनी में फार्म में पाले गए मछली उत्पाद पैकेजिंग पर मौजूद पशु कल्याण जानकारी का ग्राहकों के ख़रीद व्यवहार पर क्या प्रभाव हुआ है।
निर्माता ग्राहकों को पर्यावरण और पशु कल्याण संबंधी मुद्दों के बारे में सूचित करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इकोलेबल, जो उत्पाद की पैकेजिंग पर पाए जाते हैं, ग्राहकों को बताते हैं कि वह उत्पाद कुछ विशेष मानदंडो का पालन करता है (उदाहरण के लिए, कॉफ़ी पर फेयर ट्रेड लेबल या उत्पाद पर जैविक-प्रमाणित स्टिकर)। उपभोक्ता इकोलेबल वाले उत्पादों को ख़रीदना पसंद करते हैं और अक्सर उनके लिए अधिक कीमत चुकाने को भी तैयार रहते हैं। किसी उत्पाद के लिए अधिक भुगतान करने की यह इच्छा आमतौर पर इस बात पर निर्भर करती है कि उपभोक्ता पहले से ही उस उत्पाद से संबंधित उत्पादन प्रक्रिया और इकोलेबल पर दी गई जानकारी के बारे में क्या और कितना जानते हैं। लेकिन पशु कल्याण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इकोलेबल भ्रामक हो सकते हैं, क्योंकि वे “ग्रीनवॉश” (ग्रीनवाशिंग एक गलत धारणा व्यक्त कर सकता है कि एक कंपनी या उसके उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ हैं) या “ह्यूमनवॉश” (ह्यूमनवॉश एक गलत धारणा व्यक्त कर सकता है कि एक कंपनी ने अपने उत्पाद को पशुओं को बिना हानि पहुँचाए नैतिक और मानवीय तरीके से बनाया है) उत्पाद हो सकते हैं जो वास्तव में पर्यावरण या पशुओं के संरक्षण के लिए कुछ भी नहीं करते हैं।
शोधकर्ताओं ने जाँच कर पता लगाया कि क्या मछली उत्पादों पर मौजूद इकोलेबल उत्पाद को ख़रीदने के लिए उपभोक्ता की इच्छा को प्रभावित कर सकता है। इसके लिए उन्होंने 1,236 जर्मन प्रतिभागियों के साथ चुनाव से संबंधित प्रयोग किया जिसमें प्रतिभागियों को अलग-अलग फार्म में पाली गई ट्राउट मछली के उत्पादों, जैसे कि पूरी मछली बनाम हड्डियाँ निकाली हुई मछली या स्मोक्ड (धूमित मछली) बनाम ताज़ा उत्पादों के बीच चुनने के लिए कहा गया था। जर्मनी को इस अध्ययन के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह यूरोपीय संघ में फार्म में पाली जानी वाली मछलियों का सबसे ज़्यादा उपभोग करने वाला बाज़ार है।
प्रश्नावली भरने से पहले, प्रतिभागियों को उन उत्पादन मापदंडों के बारे में कई जानकारी दी गई थी, जिनका “ऑर्गेनिक” (जैविक) लेबल प्राप्त करने के लिए, फार्म ट्राउट मछलियों को पालन करने की ज़रुरत थी । समूह 1 को सूचित किया गया था कि जैविक उत्पादन आवश्यकताओं को पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण लागू किया गया था, जबकि समूह 2 को सूचित किया गया था कि पशु कल्याण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए उत्पादन मानदंडों को लगाया गया था। समूह 3 को बताया गया कि दोनों मानकों को ध्यान में रखते हुए उत्पादन किया गया था, जबकि चौथा समूह एक नियंत्रण था और इसलिए उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। शोधकर्ता जैविक उत्पादों के बारे में ख़रीदारी के निर्णयों की तुलना गैर-लेबल वाले उत्पादों के साथ-साथ “एएससी” (ASC) नामक ईकोलेबेल से करना चाहते थे। यह लेबल एक्वाकल्चर स्टेवर्डशिप काउंसिल द्वारा दिया जाता है, जो टिकाऊ और पर्यावरण के प्रति जागरूक या ज़िम्मेदार तकनीकों को बढ़ावा देने पर ज़ोर देते हैं।
लगभग सभी प्रतिभागी, अधिक महँगे होने के बावजूद एएससी-लेबल और बिना लेबल वाले उत्पादों की तुलना में जैविक ट्राउट उत्पाद ख़रीदने के इच्छुक थे। यहाँ तक कि वे प्रति किलोग्राम उत्पाद के लिए €1.3 अधिक भुगतान करने को तैयार थे। समूह 1 के उपभोक्ता, जिन्हें बताया गया था कि जैविक लेबल ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखा है, इस मामले में नियंत्रण समूह से भिन्न नहीं थे कि वे भी इकोलेबल के लिए भुगतान करने की इच्छा जता रहे थे। दूसरी ओर, समूह 2 के उपभोक्ता, जिन्हें सूचित किया गया था कि जैविक उत्पादन आवश्यकताओं ने पशु कल्याण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखा है, वे नियंत्रण समूह की तुलना में अतिरिक्त €1.14 प्रति किलोग्राम उत्पाद का भुगतान करने को तैयार थे। समूह 3 में वे लोग, जिन्हें सूचित किया गया था कि पर्यावरण और कल्याण दोनों ही मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, वे नियंत्रण समूह की तुलना में केवल €0.74/किलोग्राम अधिक भुगतान करने को तैयार थे।
दूसरे शब्दों में कहें तो जिन उपभोक्ताओं को पता था कि ट्राउट मछली के उत्पाद पर “ऑर्गेनिक” इकोलेबल पर्यावरण संबंधी चिंताओं को संबोधित करता है, वे उन उपभोक्ताओं की तुलना में अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार नहीं थे जो उस लेबल के उद्देश्य के बारे में नहीं जानते थे। लेकिन, वे उपभोक्ता जिन्हें बताया गया था कि जैविक लेबल मछलियों के कल्याण को संबोधित करते हैं, वे इसके लिए अधिक भुगतान करने को तैयार थे। इन परिणामों से पता चलता है कि जर्मनी में उपभोक्ता फार्म में पाली जाने वाली मछलियों के कल्याण को कितना महत्त्व देते हैं।
हालांकि मछली उत्पादों को अक्सर पशु कल्याण की चर्चा में अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन यह तेज़ी से स्पष्ट होता जा रहा है कि मत्स्य पालन उद्योग में उपभोक्ता पशु कल्याण को उच्च प्राथमिकता देते हैं। पशु कल्याण कार्यकर्ता इस जानकारी का उपयोग मछली फार्मों में कल्याण के बेहतर मानकों को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं। हालाँकि, यह देखते हुए कि तथाकथित “मानवीय” लेबल अक्सर जानवरों की पीड़ा को छुपाते हैं , अधिवक्ताओं को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए कि उपभोक्ता पशु कल्याण के बारे में निर्णय लेते समय इन लेबलों पर भरोसा करते हैं। इस अध्ययन से पता चलता है कि उत्पाद लेबल से जुड़ी समस्याओं के बारे में और अधिक जानकारी की आवश्यकता है और मछली कल्याण सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है मछली उत्पादों का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना।
