एक्वाकल्चर में झींगा के कल्याण की देखभाल करना
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झींगा एक्वाकल्चर दुनिया भर में होता है, फिर भी खेती के माहौल में उनकी पीड़ा और व्यवहार के बारे में बहुत कम जानकारी है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य व्हाइटलेग झींगा (Litopenaeus vannamei) पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए झींगों के कल्याण से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण कारकों का आकलन करना है। ऐसा अनुमान है कि विश्व स्तर पर प्रति वर्ष 171 से 405 बिलियन व्हाइटलेग झींगा की खेती की जाती है।
खेती के तरीके और स्थितियाँ
झींगा पालन में उनकी आँखों की पुतली निकाल देना एक आम हानिकारक प्रथा है। इस प्रथा में परिपक्वता और प्रजनन गति को बढ़ाने के लिए मादा झींगा की कम से कम एक आंख की पुतली को कुचलना या काटना शामिल है। काटने की इस क्रिया से शारीरिक आघात, तनाव और वजन कम हो सकता है, और यह इसकी संतानों को बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। शोध में पाया गया है कि झींगा घाव-सुधारने वाला व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, जैसे कि काटे जाने के बाद घायल क्षेत्र को रगड़ना।
इस रिपोर्ट के अनुसार, रोग एक अन्य कारक है जो झींगा के कल्याण को दृढ़ता से प्रभावित करती है। आम रोगों में वायरस वाले रोगजनक शामिल हैं, जैसे कि व्हाइट स्पॉट सिंड्रोम वायरस, येलो हेड वायरस और संक्रामक मायोनेक्रोसिस वायरस। वायरस का प्रकोप उच्च मृत्यु दर का कारण बन सकता है, कुछ फार्मों में 100% तक झींगा के मरने की जानकारी मिली है। झींगा बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से भी पीड़ित हो सकते हैं। रोग के प्रकोपों को कम करने के लिए, लेखक झींगा को उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सपोर्ट करने के लिए प्रोबायोटिक्स और पूरक देने का सुझाव देते हैं।
स्तब्ध कर देना और वध प्रथाएं भी कल्याण संबंधी गंभीर चिंता का विषय हैं। झींगा को आम तौर पर दम घोंटकर या बर्फ के साथ पानी में ठंडा करके मारा जाता है। हालाँकि, एक अध्ययन में पाया गया कि व्हाइटलेग झींगा को ठंडा करने से उनकी हृदय गति कम हो गई, लेकिन उन्हें गर्म पानी में लौटाने के बाद स्तब्ध कर देने का प्रभाव दूर हो गया। यह भी संभव है कि बर्फ का ठंडा पानी बेहोशी का प्रभाव पैदा किए बिना झींगा को लकवाग्रस्त कर देता है। तंग पैकिंग और अपर्याप्त बर्फ के कारण कुछ झींगा ठंड से स्तब्ध होने के बजाय दम घुटने से मर सकते हैं। अंत में, बर्फ पिघलने पर नमक की मात्रा में कमी के कारण ठंड लगने से दर्द हो सकता है। हालांकि इस बात के साक्ष्य सीमित हैं, लेखकों का तर्क है कि बिजली के तेज़ झटके से पीड़ा कम हो सकती है।
भंडारण घनत्व (नियत स्थान में रखी गयी मात्रा) को कम करना झींगा के कल्याण में सुधार करने का एक और तरीका है। झींगा को घूमने या रेंगने के लिए बहुत कम स्थान उपलब्ध कराने से उनके प्राकृतिक व्यवहार और उससे पैदा होने वाले तनाव पर असर पड़ता है। भंडारण घनत्व कम करने से पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है, रोग कम हो सकते हैं और मृत्यु दर में कमी आ सकती है। हालाँकि, बेहद कम स्टॉकिंग घनत्व भी प्रभुत्व का व्यवहार और खराब फीडिंग प्रतिक्रियाओं को पैदा कर सकता है। लेखकों के अनुसार, एक औसत-सघनता वाले फार्म में प्रति वर्ग मीटर 6 से 15 झींगा का इष्टतम भंडारण घनत्व होता है।
झींगा की पीड़ा को कम करने के लिए, प्राकृतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करने वाले भोजन के तरीके, छिपने के स्थान और विभिन्न आकार और रंगों वाले टैंकों जैसे पर्यावरणीय संवर्धन उपायों पर विचार किया जाना चाहिए। सब्सट्रेट्स और तलछट भी झींगा के पर्यावरण को समृद्ध करने और जीवित रहने की दर में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। कृत्रिम सब्सट्रेट के साथ मिलकर रेत जैसे तलछट एक बिल जैसी संरचना प्रदान कर सकते हैं और पोषक तत्वों के स्रोत के रूप में काम कर सकते हैं। व्हाइटलेग झींगा के लिए गहरे रंगों की पृष्ठभूमि व गोल आकार वाले टैंकों की सिफारिश की जाती है।
अनुचित परिवहन और रखरखाव से तनाव पैदा होने और चोट लगने की संभावना होती है, हालांकि झींगा से संबंधित डेटा काफी सीमित है। झींगा को जाल में फंसाने से उनको शारीरिक चोट लग सकती है और परिवहन के लिए उन्हें भारी मात्रा में पैक करने से कुचले जाने और दम के घुटने का खतरा हो सकता है। यह रिपोर्ट तर्क पेश करती है कि चोट से बचने के लिए अधिकतम पैकिंग वजन सीमा को लगाया जाना चाहिए।
अन्य डेकापॉड्स की तरह, अपर्याप्त मात्रा में भोजन दिए जाने पर झींगा लचीला हो सकता है। हालाँकि, जब उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएँ पूरी नहीं होती हैं, तो झींगे गैर-संक्रामक बीमारियों जैसे सॉफ्ट-शेल सिंड्रोम तथा आक्रामकता व एक दूसरे खा जाने जैसी व्यवहार संबंधी असामान्यताओं से पीड़ित हो सकते हैं। इसके विपरीत, अधिक भोजन करने से पानी की गुणवत्ता में समस्याएँ उतपन्न हो सकती हैं।
पानी की गुणवत्ता
झींगा के कल्याण में एक और महत्वपूर्ण चिंता का विषय पानी की गुणवत्ता है। पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारकों में पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर, तापमान, गैर-आयनित अमोनिया स्तर, pH (अम्लता), और नमक की सांद्रता (लवणता) शामिल हैं। लेखकों को पूरा विश्वास है कि झींगा को घुलनशील ऑक्सीजन के कम स्तर वाले पानी में डालना हानिकारक है और इससे मृत्यु दर बढ़ जाती है। रोग की संवेदनशीलता और विषाक्त अमोनिया के निर्माण को कम करने के लिए घुलनशील ऑक्सीजन के स्तर को 5 और 8 mg/L के बीच बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
इस बात के बहुत मजबूत साक्ष्य हैं कि उच्च गैर-आयनित अमोनिया सांद्रता झींगा के लिए विषाक्त होती है। इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, उनके अंगों को हानि पहुंच सकती है और इससे मृत्यु दर बढ़ जाती है। गैर-आयनित अमोनिया की अनुशंसित मात्रा <0.05 mg/L से कम होती है। पानी की अम्लता एक और कारक है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। पानी का pH स्तर 7.8 से 8.2 के बीच होना चाहिए। ऊंचा pH स्तर विषाक्त अमोनिया को बढ़ा सकता है। pH स्तर में अचानक परिवर्तन भी हानिकारक हो सकता है।
पानी का गैर-इष्टतम तापमान, विशेष रूप से ऊंचा तापमान, झींगा के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। उच्च तापमान घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है और विषाक्त अमोनिया की मात्रा को बढ़ाता है, जबकि बहुत कम तापमान या बर्फीले पानी का संपर्क तनावपूर्ण और घातक हो सकता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी का इष्टतम तापमान 28 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
इसके अलावा, पानी की लवणता झींगा के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हालाँकि, झींगा के कल्याण पर पानी की लवणता के प्रभाव के संबंध में प्रायोगिक साक्ष्य असंगत हैं। लवणता, घुली हुई ऑक्सीजन और विषाक्त अमोनिया के स्तर को प्रभावित कर सकती है। लवणता का ऊंचा स्तर, झींगा के जीवित रहने के लिए बेहतर प्रतीत होता है, लेकिन इससे बैक्टीरिया की वृद्धि भी हो सकती है। कुल मिलाकर, व्हाइटलेग झींगा के लिए 10% से 20% के बीच लवणता सीमा की सिफारिश की जाती है।
झींगा के पक्ष पोषण से हासिल सीख
झींगा के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर इन फार्मिंग पद्धतियों और पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के साथ-साथ झींगा के कल्याण के बेहतर उपाय खोजने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। चूँकि झींगा और एक्वाकल्चर में उनके जीवन को क्या चीज़ बेहतर बना सकती है के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, पशु पक्ष-पोषक अधिक शोध की मांग करके इसमें मदद कर सकते हैं। इस बीच, आँखों की पुतली निकाला जाना, रोग, बेहोशी और वध जैसे मुद्दों के लिए जहां इस बात के साक्ष्य हैं कि मौजूदा प्रथाएं हानिकारक हैं, पक्ष-पोषक उच्च कल्याण मानकों को अपनाने के लिए झींगा उत्पादकों के साथ मिल कर काम कर सकते हैं।