डेकापॉड और सेफ़लोपॉड के कल्याण का अवलोकन करना
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ब्रेक्सिट के बाद, ब्रिटेन में जानवरों ने यूरोपीय संघ के कानून के तहत उन्हें दी जाने वाली सुरक्षा खो दी थी। इसके जवाब में, यूके सरकार ने एक “पशु कल्याण (भावना) बिल” प्रस्तावित किया, जो शुरू में केवल गैर-मानव कशेरुकियों (रीढ़दार प्राणी) को संवेदनशील के रूप में स्वीकार करता था। सरकार ने शोधकर्ताओं द्वारा जमा किए गए व्यापक डेटा को देखते हुए, बिल में डेकापॉड (दस पैर वाला जलचर/दशपाद) और सेफ़लोपॉड (शीर्षपाद) को शामिल करने का निर्णय लिया। यह स्वीकृति अनिवार्य करती है कि यूके में कोई भी नई सरकारी नीति बनाते समय इन प्राणियों के कल्याण पर विचार किया जाए।
मनुष्यों ने हाल के वर्षों में भोजन, प्रयोग और शिक्षण उद्देश्यों के लिए डेकापॉड (जैसे केकड़ा और झींगा मछली) और सेफ़लोपॉड (जैसे ऑक्टोपस और कटलफिश) के उपयोग में वृद्धि की है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कंपनियाँ ऑक्टोपस फार्म बनाने पर विचार कर रही हैं। इन जीवों के उपयोग में बढ़ोतरी का मतलब है कि अब इन्हें और अधिक संख्या में पकड़ा और कैद में रखा जाएगा। इस अध्ययन के लेखकों का मकसद है कैद में रखे जाने वाले डेकापॉड और सेफ़लोपॉड के कल्याण का मूल्याँकन करना क्योंकि अब बिल ने भी उन्हें संवेदनशील प्राणियों के रूप में मान्यता दे दी है।
अध्ययन के समय अकशेरूकीय कल्याण का अवलोकन करने के लिए आधिकारिक प्रक्रियाएँ थीं। वैज्ञानिकों ने इस अंतर को भरने के लिए पहले स्तनधारियों और पक्षियों पर उपयोग की जाने वाली जाँच पद्धति, पशु कल्याण आँकलन ग्रिड (AWAG) को संशोधित किया। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक जानवर के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, पर्यावरण और प्रक्रियात्मक कल्याण सहित 21 कल्याण मानदंडों का आँकलन करने के लिए अनुकूलित विधि का उपयोग किया। इसके बाद, इसका उपयोग यूनाइटेड किंगडम के एक चिड़ियाघर और एक मछलीघर में किया गया।
प्रशिक्षित प्रतिभागियों ने 86 दिनों के दौरान 112 अलग-अलग अकशेरूकीय को ध्यान से देखा, जिनमें 108 लाल-पंजे वाले क्रेफ़िश, एक समुद्र तटीय केकड़ा, एक स्क्वॉट-लॉबस्टर (झींगा मछली), एक नर कटलफ़िश और एक मादा आम ऑक्टोपस शामिल थे। प्रयोग की अवधि में, विषयों का दैनिक या प्रति सप्ताह तीन बार मूल्याँकन किया गया था।
प्रतिभागियों ने प्रत्येक जानवर के शारीरिक (जैसे, सामान्य स्वास्थ्य स्थिति, गतिविधि स्तर, भोजन का सेवन), मनोवैज्ञानिक (जैसे, असामान्य व्यवहार, सामाजिक व्यवधान की ओर प्रतिक्रिया), पर्यावरणीय (जैसे, पानी की गुणवत्ता, समूह का आकार) और प्रक्रियात्मक (जैसे, पशु चिकित्सा प्रक्रियाओं का प्रभाव, दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन) मापदंडों को मापा। परिणामों के सारांश का उपयोग करके अध्ययनकर्ताओं ने इन प्राणियों के कल्याण का व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मूल्यांकन किया। इससे शोधकर्ताओं के लिए यह निगरानी करना संभव हो गया कि किन विशिष्ट परिस्थितियों ने इनके कल्याण के स्कोर को बढ़ाया या घटाया था।
परिणाम बताते हैं कि डेकापॉड और सेफलोपॉड के समग्र स्वास्थ्य कल्याण में सुधार कैसे किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पानी की गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव के कारण लाल-पंजे वाले क्रेफ़िश का कल्याण स्कोर बदल गया था। जब पानी की गुणवत्ता खराब होती थी, तो जानवर तैरकर उथले पानी में चले जाते थे या पानी को पूरी तरह छोड़ देते थे। अपने प्राकृतिक आवास में ख़राब पानी के संपर्क में आने से लाल-पंजे वाले क्रेफ़िश बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करते हैं। लेखकों के अनुसार, इन निष्कर्षों से पता चलता है कि कल्याण की निगरानी करने के लिए प्राकृतिक स्थानों में भी AWAG का उपयोग किया जा सकता है। यदि हम लाल-पंजे वाले क्रेफ़िश के लिए जल की गुणवत्ता के उपयुक्त सीमा को जान जाएँ तो उनकी गतिविधियों को देखकर हमें पानी की गुणवत्ता के बारे में, परीक्षण किए बिना भी, बहुत कुछ पता चल सकता है। यदि लाल पंजे वाले क्रेफ़िश का AWAG स्कोर कम है, तो यह ख़राब पानी का संकेत दे सकता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अध्ययन में कुछ जानवरों को कम आदर्श वातावरण में रखा जा रहा था, जिससे उनका कल्याण स्कोर कम हो गया था। उदाहरण के लिए, अध्ययन में समद्र तटीय केकड़े को दो अलग-अलग टैंकों में रखा गया था: एक ऑन-शो डिस्प्ले टैंक और दूसरा ऑफ़-शो होल्डिंग टैंक। जिन प्राकृतिक स्थानों में तटीय केकड़े रहते हैं उसकी तुलना में होल्डिंग टैंक कम चुनौतीपूर्ण था। लेखकों के अनुसार, चिड़ियाघर और मछलीघर में रखे जाने वाले जानवरों के लिए यह सामान्य बात है। यदि उन्हें ऐसे वातावरण में रखा जाए जो उनके मूल आवास से कम चुनौतीपूर्ण है तो तटीय केकड़े कुछ प्राकृतिक व्यवहारों को प्रदर्शित करने में असमर्थ होंगे। लेखकों का मानना है कि जीवों को जिस स्थान या टैंक में रखा जाता है वहाँ चुनौतियों को बढ़ाने से जानवरों के कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, उदाहरण के लिए, अपने टैंक में जीव जिन चीज़ों के संपर्क में आते हैं, उसे बढ़ाने से उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा जा सकता है।
कल्याण के अन्य कारक प्रजाति-विशिष्ट हैं। जैसे, लाल-पंजे वाले क्रेफ़िश संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, इसलिए यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टैंक में सभी जीवों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएँ। वहीँ, ऑक्टोपस को मानव संपर्क में वृद्धि से लाभ होता है और स्क्वॉट लॉबस्टर को थोड़े से बदलाव के साथ एक स्थिर आवास की आवश्यकता हो सकती है।
यह अध्ययन न केवल दिखाता है कि अकशेरूकीय कल्याण को कैसे बढ़ाया जा सकता है बल्कि यह भी बताता है कि इसे कैसे मापा जा सकता है। क्योंकि इन जीवों को तेज़ी से पकड़ा और कैद किया जा रहा है, इसलिए उनके कल्याण का निष्पक्ष रूप से आँकलन करने का तरीका खोजना महत्वपूर्ण हो गया है।
जब तक डेकापॉड और सेफ़लोपॉड को कैद में नहीं रखा जाता है, तब तक हमें चिड़ियाघर, मछलीघर, खेतों और अन्य मानव-प्रबंधित वातावरण में रखे जाने वाले जीवों के कल्याण पर ध्यान देने की ज़रुरत है। यह अध्ययन एक अनुकूलित उपकरण प्रस्तुत करता है जो भौतिक, मनोवैज्ञानिक, पर्यावरण और प्रक्रियात्मक मापदंडों की व्यापक सूची का निष्पक्ष रूप से मूल्याँकन कर सकता है। परिणाम बताते हैं कि AWAG निगरानी तकनीक कई अकशेरुकी जीवों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उपयोगी जानकारी देती है। इस अध्ययन के लेखक अकशेरुकी जीवों के कल्याण का मूल्यांकन करने के लिए उपकरणों का विकास और परीक्षण जारी रखने के लिए शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हैं।
https://www.mdpi.com/2076-2615/12/13/1675
