मछलियों और मुर्गियों के बारे में धारणाओं की तुलना करना और पूरे देश में पशु- सकारात्मक व्यवहारों से उनका संबंध

पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार सिर्फ 2018 में ही लगभग 69 बिलियन मुर्गियों को मारा गया। वर्ष 2018 में ही दुनिया भर में करीब 100 मिलियन टन मछलियाँ मारी गई। इस अनुसंधान के क्षेत्र में हमने जिन देशों का सर्वेक्षण किया है उनमें शामिल – ब्राजील, कनाडा, चीन, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का मुर्गियों और मछलियों बहुत ज्यादा मात्रा में मारने में काफी योगदान है । उदाहरण के लिए, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील ने 2018 में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मुर्गियों का वध किया, जिसमें भारत भी पीछे नहीं है। भारी मात्रा में मछलियों का वध करने के मामले में चीन दुनिया में पहले स्थान पर है, जबकि भारत चौथे और अमेरिका छठे स्थान पर है। कुल मिलाकर, इस शोध में शामिल पांच देशों की मुर्गी वध में विश्व का 40% से अधिक और वैश्विक मछली वध में विश्व के एक चौथाई से अधिक की हिस्सेदारी है।
दुनिया भर में, जानवरों के अधिकारों के प्रति सचेत रहने वाले लोग जानवरों के कल्याण को बढ़ावा देने और पशु उत्पादों की खपत को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण, यह आवश्यक है कि पशु अधिकार कार्यकर्ता उन परिस्थितियों को समझें जिसमें वे काम कर रहे हैं, यह मानने के बजाय कि दुनिया के एक हिस्से के लिए जो ठीक है वही नियम दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी लागू किया जा सकता है। इन देशों में से प्रत्येक देश के द्वारा बड़ी मात्रा में चिकन और मछली का वध किए जाने के बावजूद, यह जरूरी नहीं है कि उनके निवासी इन जानवरों के बारे में एक समान धारणा रखते हों। इस रिपोर्ट के अन्य संभागों में वर्णित राष्ट्रीय स्तर के निष्कर्षों की तुलना करके, हम राष्ट्र के सभी लोगों की धारणाओं में समानताएं और विभिन्नतायें देख सकते हैं। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशुओँ के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगो के लिए मददगार साबित हो सकती है।
मुख्य निष्कर्ष
- अमेरिका और कनाडा की तुलना में भारत, चीन और ब्राजील में पशु के अधिकारों के समर्थक व्यक्तियों की दर अधिक है। अन्य देशों की तुलना में अमेरिका और कनाडा में ऐसे प्रतिभागियों की संख्या बहुत कम थी जिन्होंने पशुओं को आहार ना बनाने की प्रतिज्ञा ली और पशुओं के कल्याण को बढ़ावा देने से संबंधित याचिका पर हस्ताक्षर किए। ब्राजील, चीन और भारत में, कम से कम आधे प्रतिभागी पशु-समर्थक कार्रवाई करने के इच्छुक थे।
- कई मान्यताएं हर देश में एक जैसी हैं, लेकिन फिर भी ऐसे कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो पशु कल्याण के अभियानों में स्थानीय संदर्भों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। कुछ मान्यताएँ, जिनमें “मछली सुंदर हैं,” “मुर्गियाँ दर्द महसूस कर सकती हैं,” ऐसी ही और भी मान्यताएं सभी देशों में एक जैसी थीं। जब कि कुछ अन्य मान्यताएँ केवल कुछ देशों में ही प्रचलित थीं, जैसे कि भारत और ब्राज़ील में यह विश्वास कि मछलियाँ प्यारी होती हैं, या यह कि अमेरिका और भारत में कई मुर्गी फार्मों में मुर्गियाँ काफी ख़राब परिस्थितियों में रहती हैं।
- सभी देशों में मान्यताएं एक समान होने के बावजूद भी आवश्यक नहीं कि मान्यताओं और पशु कल्याण के कार्यों के बीच संबंध हो ही । अन्य देशों के प्रतिभागियों की तुलना में अमेरिकी प्रतिभागियों की मान्यता पशुओं के कल्याणकारी कार्यों के साथ औसत स्तर पर जुड़ी हुई थी जबकि भारतीय प्रतिभागियों का जुड़ाव सबसे कम था। ब्राजीलियाई, चीनी और कनाडाई प्रतिभागियों का जुड़ाव ज्यादा और कम के बीच में कहीं था। विश्वासों और क्रिया-कलापों के बीच संबंध जितना मजबूत होगा, उतनी ही अधिक संभावना है कि धारणाओं को प्रभावित करने के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का उन व्यवहारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिन्हें हम बदलना चाहते हैं।
- मछलियों और मुर्गियों दोनों के ही प्रति धारणाएं एक समान रूप से पशुओं के कल्याण के लिए किये जाने वाले कार्यों से जुड़ी थीं। दूसरे शब्दों में, पशुओं के कल्याण के लिए, फिर वो चाहे मछली हो या मुर्गी, काम करना है या नहीं यह तय करने के लिए व्यक्तिओं के दिमाग में बैठी धारणा काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।
शोध दल
यह प्रॉजेक्ट फौनालिटिक्स और मरसी फॉर एनिमल्स (MFA) के शोधकर्ताओं के बीच एक साथ सहयोगपूर्वक किया गया है, ये शोधकर्ता हैं- फौनालिटिक्स से ज़ैक वूल्डर्क, जो एंडरसन और टॉम बेग्स तथा मरसी फॉर एनिमल्स (MFA) से कर्टनी डिलार्ड, वाल्टर सांचेज़-सुआरेज़ और सेबस्टियन क्वैड। भाषाई और सांस्कृतिक अनुवाद में उनकी सहायता के लिए हम मेरेडिथ हुई, रश्मित अरोड़ा, डिओगो फर्नांडीस और विटोर क्लेमेंटे और अमूल्य फीडबैक के लिए हम क्रिस्टीना मेंडोंका, मेरेडिथ हुई और निकुंज शर्मा के ऋणी हैं।
हम सीईए एनिमल वेलफेयर फंड, द कल्चर एंड एनिमल्स फाउंडेशन, और इस काम के वित्तपोषण के लिए एक अनाम दाता और रिपोर्ट अनुवादों के वित्तपोषण के लिए टिपिंग प्वाइंट प्राइवेट फाउंडेशन को धन्यवाद देना चाहते हैं।
अध्ययन की रूप–रेखा
शोध के इस क्षेत्र की पहली रिपोर्ट को शामिल करते हुए , हमने ब्राजील, कनाडा, चीन और अमेरिका में 1,000 से अधिक वयस्कों और भारत में लगभग 900 वयस्कों पर सर्वेक्षण किया। प्रत्येक देश में, इस शोध में शामिल प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया और मछलियों या मुर्गियों के बारे में उनसे अपनी मान्यताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए कहा गया। उसके बाद उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे मुर्गी या मछली को अपने आहार में कम करने की प्रतिज्ञा लेंगे, और क्या वे जानवरों के बेहतर जीवन और वध के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर करेंगे। इस प्रस्ताव का एकमात्र अपवाद चीन था, जहां याचिका का सुझाव देने की बजाय, प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या वे इन कल्याणकारी सुधारों का समर्थन करते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर सभी धारणाओं की समानता का निर्धारण करने के अलावा, हमने प्रत्येक मान्यता के पारस्परिक संबंधों की गणना भी की और प्रतिभागियों को पशुओं के कल्याण के लिए किये जाने वाले कार्यों, जैसे कि- पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की शपथ लेना या फिर पशुओं के कल्याण से सम्बंधित याचिका पर हस्ताक्षर करना, का प्रस्ताव दिया गया। –
प्रत्येक देश के प्रतिभागियों के परिणामों के साथ-साथ पशु कल्याण कार्यकर्ताओं के लिए सुझावों के बारे में अधिक जानकारी प्रत्येक देश की विशिष्ट रिपोर्टों में पाई जा सकती है।
परिणाम
हमने जिन देशों का सर्वेक्षण किया है चूँकि उनमें से प्रत्येक देश का अपना एक विशिष्ट वातावरण है, अतः प्रत्येक देश के प्रतिभागी पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को जो बता सकते हैं उस के बीच तुलना सीमित हो सकती है। कई तरीकों से काफी भिन्न लोगों के समूहों पर सांख्यिकीय विश्लेषण करने के बजाय, हमने संभावित समानताएं और अंतर दिखने वाले कुछ उच्च-स्तरीय रुझानों की जांच की है जो खासकर उन लोगों का समर्थन करते हैं जो सीमा के पार काम कर रहे हैं या फिर जो इस उम्मीद में हैं की वो अपने काम के बारे में बताने के लिए विदेशी परिणामो के निष्कर्ष का उपयोग कर सकते हैं। पशुओं के प्रति सकारात्मक व्यवहारों, सामान्य धारणाओं और इन के पारस्परिक संबंधों की तुलना देशों के बीच में करके हम बेहतर ढंग से समझ सकते हैं कि किस प्रकार के संदेश बहुत सारी आबादी को समझ आ सकते सकते हैं और किस प्रकार के सन्देश केवल कुछ पर लागू हो सकते हैं।
पशु–सकारात्मक व्यवहार
तालिका 1: विभिन्न देशों में पशु–सकारात्मक व्यवहार
टिप्पणियाँ:- चीन के राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक याचिका के इस्तेमाल की संभावना नहीं होने के कारण चीनी प्रतिभागियों से एकदम सामान्य रूप से उनके समर्थन के बारे में पूछा गया था।
अधिकांश भारतीय, चीनी और ब्राजीलियाई प्रतिभागियों ने पशुओं के कल्याण के लिए कार्रवाई करने की इच्छा व्यक्त की। जिन देशों में सर्वेक्षण किया गया उनमे से भारतीय और चीनी प्रतिभागियों ने लगातार पशु-सकारात्मक व्यवहार के उच्चतम स्तर का प्रदर्शन किया था। भारत और चीन में, दो-तिहाई से अधिक प्रतिभागियों ने अपने आहार में जानवरों को शामिल ना करने की प्रतिज्ञा ली, और चार में से तीन भारतीय प्रतिभागी कल्याण याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक थे। ब्राजील के दो-तिहाई से अधिक प्रतिभागी याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के लिए तथा उनमे से कुछ लेकिन फिर भी बहुमत में पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने के इच्छुक थे।
कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों ने भारत, चीन या ब्राजील के लोगों की तुलना में पशुओं के कल्याण के प्रति कम सकारात्मक व्यवहार दिखाया । हालांकि कैनेडा के प्रतिभागी अमेरिकी प्रतिभागियों की तुलना में किसी भी क्रिया कलाप को करने के ज्यादा इच्छुक थे। दोनों देशों के सभी प्रतिभागियों में से आधे से भी कम ने या तो याचिका पर हस्ताक्षर किए या पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा ली।
पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने वाले प्रतिभागियों के विचारणीय अनुपात को देखते हुए कहा जा सकता ब्राजील, चीन और भारत में पशुओं के कल्याण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आम जनता के बीच अपने आहार में चिकन और मछली की खपत को कम करने के लिए काफी खुलापन देखने को मिल सकता है।ब्राजील और भारत के कार्यकर्ताओं के लिए भी यही सच है जो कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर की मांग कर रहे हैं। अमेरिका और कनाडा में कार्यकर्ताओं को पशुओं के प्रति सकारात्मक व्यवहार को उत्पन्न करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है लेकिन ज्यादा से ज्यादा व्यक्तिओं को अपने कार्य से जोड़ने के लिए वे सम्बंधित देश की राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्टों में चर्चा की गई प्रमुख मान्यताओं पर जोर दे सकता है।
मछलियों से सम्बंधित मान्यताएँ
मछलियों के बारे में कई सारी ऐसी मान्यताएँ थी जो सभी पाँच देशों में स्थिरतापूर्वक एक जैसी थीं, जबकि कुछ मान्यताएँ ऐसी थी जो कुछ देशों में विशिष्ट थीं लेकिन अन्य देशों में असामान्य थीं।
जिन देशों में सर्वेक्षण किए गए उनमे से प्रत्येक देश में, “मछली प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है” यह धारणा दो सबसे आम धारणाओं में से एक थी। अन्य आम मान्यताओं में मछलियों की सुंदरता, संवाद करने की उनकी क्षमता और दर्द महसूस करने की उनकी क्षमता शामिल है। जिन देशों में सर्वेक्षण किये गए उन देशों में सहमति के आधार पर इन मान्यताओं को जिस क्रम में रखा गया है उसका पता तालिका 2 से पता चलता है।
तालिका 2: मछलियों के बारे में सबसे आम धारणाएँ
कई मान्यताएँ बिना किसी बदलाव के स्थिर रूप से असामान्य थीं। जैसे कि सबसे पहली तो ये कि , कुछ प्रतिभागियों का मानना है कि मछलियों के लिए पानी की गुणवत्ता महत्वहीन है। यह धारणा हर देश में सबसे कम प्रचलित दो मान्यताओं में से एक थी। अन्य असामान्य मान्यताएँ थीं कि मछलियाँ भद्दी होती हैं, उन्हें पकड़ना या संभालना कभी भी तनावपूर्ण नहीं होता, मछलियाँ अपने बच्चों की परवाह नहीं करतीं और उनकी सँख्या में होती जा रही लगातार बढ़ोत्तरी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। सर्वेक्षण किए गए प्रत्येक देश में सहमति के आधार पर इन मान्यताओं की रैंकिंग तालिका तीन के द्वारा प्रदर्शित की गई है।
तालिका 3: मछलियों के बारे में ऐसी धारणाएँ जो बहुत ज्यादा सामान्य नहीं थी
मछलियों के बारे में कुछ मान्यताएँ कुछ देशों में बहुत ही सामान्य रूप से उपस्थित थीं, लेकिन दूसरे कुछ देशों में इतनी सामान्य नहीं थी। “मछली को घूमने -फिरने और व्यायाम करने के लिए जगह की आवश्यकता होती है” और “मछली ज्यादातर अपनी सहज बुद्धि आधार पर कार्य करती है”यह धारणा भारत को छोड़कर प्रायः हर देश में सामान्य रूप से उपस्थित थी। ब्राजील और भारत दोनों ही देशों में, कई प्रतिभागियों का मानना था कि मछली प्यारी होती है, लेकिन चीन, कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों में इस तरह की धारणा के पाए जाने की संभावना बहुत कम थी।
तालिका 4: देश के अनुसार सबसे अधिक भिन्नता वाली धारणाएँ
मुर्गियों के बारे में धारणाएँ
यह धारणा कि चिकन प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, हर देश में दो सबसे आम धारणाओं में से एक थी। यह धारणा कि मुर्गियां दर्द महसूस कर सकती हैं, एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकती हैं, डर जैसी नकारात्मक भावनाओं को महसूस कर सकती हैं, और तनाव महसूस कर सकती हैं, सर्वेक्षण किए गए प्रत्येक देश में सबसे अधिक प्रचलित धारणाओं में से एक थी। तालिका 5 सभी देशों के प्रतिभागियों के बीच सामान्य रूप से चिकन के प्रति चयनित धारणाओं को और उन धारणाओं की रैंकिंग को दिखाती है।
तालिका 5: मुर्गियों के बारे में सबसे सामान्य धारणाएँ
कोई भी देश हो , यह धारणा बहुत ही कम पाई गई कि मुर्गियां अपने बच्चों की परवाह नहीं करती हैं। अन्य अप्रचिलित धारणाएँ थीं जैसे कि मुर्गियों के लिए हवा और पानी की गुणवत्ता इतनी महत्वपूर्ण नहीं है, मुर्गियों को उनकी स्वतन्त्रता के छिन जाने से या बुरे बर्ताव से कभी भी तनाव नहीं होता है, मुर्गियां भद्दी होती हैं, और मुर्गियों का कोई व्यक्तित्व नहीं होता है। तालिका 6 में चिकन के प्रति उन धारणाओं का संकलन प्रदर्शित किया गया है जिनमे प्रत्येक देश के कुछ ही प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त की।
तालिका 6: मुर्गियों के बारे में सबसे कम प्रचलित धारणाएँ
हमने चिकन से सम्बंधित जितनी भी धारणाओं के बारे में पूछा उनमे से कुछ धारणाओं के बारे में तो देशों में आम सहमति है लेकिन हर धारणा के साथ ऐसा नहीं है, उदाहरण के लिए, “हर मुर्गी का अपना एक अलग विशेष व्यक्तित्व नहीं होता है”अन्य देशों के प्रतिभागियों की तुलना में भारतीय प्रतिभागियों में यह धारणा सामान्य रूप से पाई गई। इसके विपरीत, “मुर्गियों को घूमने-फिरने और व्यायाम करने के लिए जगह चाहिए” भारत को छोड़कर हर देश में सबसे अधिक प्रचलित धारणाओं में से एक थी।
यहाँ तक कि इन निष्कर्षों से यह पता चलता है किअन्य देशों के प्रतिभागियों की तुलना में भारतीय प्रतिभागियों की मुर्गियों के बारे में कोई बहुत अच्छी राय नहीं है, अन्य देशों के प्रतिभागियों की तुलना में भारतीय प्रतिभागियों के यह मानने की संभावना भी कम थी कि मुर्गियां ज्यादातर अपनी सहज बुद्धि से काम करती हैं।अन्य देशों के प्रतिभागियों की तुलना में अमेरिकी प्रतिभागियों के साथ, उनके इस बात से सहमत होने की भी अधिक संभावना थी कि कई चिकन फार्मों में जीने की परिस्थितियाँ भयंकर ख़राब हैं। निष्कर्षों के संभाग में इस अंतर के लिए कुछ संभावित स्पष्टीकरणों का पता लगाया गया है।
तालिका 7: देश के अनुसार सबसे अधिक भिन्नता लिए हुए धारणाएँ
धारणाओं और क्रिया–कलापों के बीच संबंध
मुर्गियों और मछलियों के बारे में सभी व्यक्तिगत धारणाओं को श्रेणियों में व्यवस्थित किया जा सकता है: उपभोग, भावनाएं, बुद्धिमता , व्यक्तित्व, सामाजिक प्रकृति, दुःख और अन्य विश्वास। उदाहरण के लिए, लोग जितना सोचते हैं मुर्गियाँ उस से कहीं ज्यादा समझदार होती हैं”, यह एक तार्किक अवधारणा है, “कई मछली फार्मों में मछलियों के रहने की स्थिति बहुत ज्यादा ख़राब है” यह एक पीड़ित अवधारणा है, और “मछली प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है” एक उपभोग अवधारणा है।
इस वर्ग में, अपने अभियानों को तैयार करते समय कार्यकर्ता जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं उन क्षेत्रों को समझने की योग्यता के लक्ष्य के साथ हम अवधारणाओं की श्रेणियों और पशु कल्याण व्यवहार के बीच औसत सहसंबंधों को देखते हैं।
इन परिणामों के साथ अवधारणाओं और क्रिया-कलापों के बीच प्रत्येक देश के औसत पारस्परिक संबंधों पर विचार कर हम अपनी समझ को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। प्रत्येक देश की अपनी अवधारणाओं और पशु-समर्थक कार्यों के बीच औसत सहसंबंध की ताकत इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए धारणाओं पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।
दूसरे शब्दों में, उच्च सहसंबंध वाले देशों के निवासियों के समक्ष जब ऐसी अवधारणाएँ आती हैं जिन पर ज़ोर देकर चर्चा की गई हो तो वे उन देशों के निवासियों की तुलना में, जिनके अवधारणा और क्रिया-कलापों में अच्छे पारस्परिक सम्बन्ध नहीं है और जहाँ इन कार्यों को रोक सकने के लिए कुछ अतिरिक्त बाधाएँ हो सकती है, एक याचिका पर हस्ताक्षर करने या फिर पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने की जबरदस्त इच्छा दिखा सकते हैं।
मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा
चित्र 1: मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के साथ मछली के प्रति धारणाओं का औसत सहसंबंध
औसतन अमेरिका के प्रतिभागियों में अवधारणाओं और पशुओं को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के बीच सबसे मजबूत संबंध थे: पशु-कल्याण से सम्बंधित धारणाओं को अन्य देशों की तुलना में व्यवहार में लाये जाने की अधिक प्रवृत्ति थी। भारतीय प्रतिभागियों में यह सहसम्बन्ध आम तौर पर सबसे कमजोर था, जबकि ब्राजील, कनाडा और चीन के लोगों में यह सहसम्बन्ध से औसत था।
इन परिणामों से पता चलता है कि भारत में काम करने वाले पशु समर्थक कार्यकर्ता जिन धारणाओं पर ज़ोर देते हैं उस आधार पर पशुओं को अपने आहार में शामिल ना करने की ली हुई प्रतिज्ञा में अधिक अंतर नहीं दिखाई दे सकता है जबकि दूसरे देशों, विशेष रूप से अमेरिका में काम करने वाले पशु समर्थक कार्यकर्ता वहाँ की धारणाओं का लाभ उठाकर ज्यादा से ज्यादा प्रतिज्ञा दिलवाने में सक्षम हो सकते हैं।
तालिका 8: औसत धारणा श्रेणी और मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के साथ सहसम्बन्ध की रैंकिंग
श्रेणी के स्तर पर, मछलियों की भावनाओं, व्यक्तित्वों और पीड़ाओं के बारे में धारणाओं का अक्सर आहार प्रतिज्ञा लेने की इच्छा के साथ सबसे मजबूत औसत संबंध था। भारत के अपवाद के अलावा मछली को अपने आहार में शामिल करने की मान्यता का मछली आहार प्रतिज्ञा के साथ सबसे कमज़ोर पारस्परिक सम्बन्ध था। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि धारणाओं की किसी भी श्रेणी का भारतीय प्रतिभागियों के साथ मजबूत पारस्परिक संबंध नहीं था। चूंकि भारतीय प्रतिभागियों में पशु कल्याण समर्थक व्यवहार आम था इसलिए हो सकता है कि भारत में पशु कार्यकर्त्ताओं को आहार प्रतिज्ञाओं के लिए या फिर याचिका पर हस्ताक्षर करवाने के लिए संसाधनों को निर्धारित कर विशिष्ट संदेशो को देने की आवश्यकता ना पड़े।
मछली कल्याण याचिका हस्ताक्षर
चित्र 2: मछली कल्याण याचिका के साथ मान्यताओं का औसत सहसंबंध
टिप्पणियाँ:- चीन के राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक याचिका के इस्तेमाल की संभावना नहीं होने के कारण चीनी प्रतिभागियों से एकदम सामान्य रूप से उनके समर्थन के बारे में पूछा गया था। इस समर्थन के लिए औसत सहसंबंध का माप 0.05 था।
कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों का उनकी धारणाओं और मछली कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने के बीच मजबूत औसत संबंध था, जबकि ब्राजील और भारतीय प्रतिभागियों के कमजोर संबंध थे। दूसरे शब्दों में, ब्राजील या भारत के समर्थक कार्यकर्ताओं की तुलना में कनाडा या अमेरिका में काम करने वाले पशु समर्थक कार्यकर्ता जब मछली से संबंधित मान्यताओं पर जोर देते हैं तो उन्हें मछली कल्याण याचिका पर हस्ताक्षरों की संख्या में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
तालिका 9: मछली कल्याण याचिका के साथ औसत अवधारणाओं की श्रेणी के सहसंबंधों की रैंकिंग
टिप्पणियाँ:- चीन के राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक याचिका के इस्तेमाल की संभावना नहीं होने के कारण चीनी प्रतिभागियों से एकदम सामान्य रूप से उनके समर्थन के बारे में पूछा गया था। चीनी प्रतिभागियों के बीच चिकन कल्याण समर्थन के सबसे मजबूत से सबसे कमजोर औसत पारस्परिक संबंध देखने के लिए मान्यताओं की श्रेणियाँ व्यक्तित्व, पीड़ा, भावनाएं, बुद्धिमत्ता, अन्य, सामाजिक और उपभोग थीं।
श्रेणी के स्तर पर जहाँ ब्राजील और कनाडा में मछली कल्याण याचिका हस्ताक्षरों के साथ सबसे मजबूत औसत सहसंबंध भावनाओं से सम्बंधित धारणाओं का था, वहीं अमेरिका में भावनाओं से सम्बंधित धारणाओं के इतने मजबूत पारस्परिक सम्बन्ध नहीं थे, जबकि “अन्य धारणाएँ” और व्यक्तित्व से सम्बंधित धारणाएँ मछली कल्याण याचिका हस्ताक्षरों के साथ मजबूती जुडी हुई थी। इस प्रकार की अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित करने से इन देशों में पशु समर्थक कार्यकर्ताओं को मछली कल्याण में सुधार के लिए याचिकाओं पर हस्ताक्षर प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। सेवन सम्बंधित धारणाओं का मछली कल्याण याचिका हस्ताक्षरों के साथ प्रत्येक देश में सबसे कमजोर औसत सहसंबंध था, सिर्फ भारत ही ऐसा देश था जहाँ यह पारस्परिक सम्बन्ध लगातार कमजोर था।
चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा
चित्र 3: चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के साथ धारणाओं का औसत सहसंबंध
अमेरिकी प्रतिभागियों में मुर्गियों के बारे में उनकी धारणाओं और चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने की उनकी इच्छा के बीच सबसे मजबूत औसत संबंध था, इसके बाद ब्राजील और कनाडा के प्रतिभागियों और फिर भारत और चीन के प्रतिभागियों का स्थान था। पशुओं को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के वायदे की मांग करते समय चिकन से सम्बंधित कुछ अवधारणाओं को विशिष्ट रूप से दर्शाने से पशु समर्थक कार्यकर्ताओं को खासकर अमेरिका में अधिक सफलता मिल सकती है।
तालिका 10: औसत अवधारणा श्रेणी की चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के साथ सहसंबंध की रैंकिंग
मुर्गियों की भावनाओं से संबंधित धारणा वह थी जिसका भारत को छोड़कर प्रत्येक देश में मुर्गी को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने की इच्छा के साथ उच्चतम औसत सहसंबंध था। कनाडा, अमेरिका और चीन में सबसे ज्यादा पारस्परिक सम्बन्ध वाली अवधारणाओं की श्रेणी में व्यक्तित्व सम्बंधित धारणाएँ भी थी जबकि ब्राज़ील में सबसे मजबूत पारस्परिक सम्बन्ध पीड़ा सम्बन्धी धारणाओं गया।
भारत के अपवाद के साथ, सर्वेक्षण किए गए देशों में काम करने वाले पशु समर्थक कार्यकर्ता मुर्गियों की भावनाओं से सम्बंधित धारणाओं का उपयोग करके चिकन की खपत को कम करने के लिए सभी देशों के लिए एक समान अभियान तैयार करने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि, पशु समर्थक कार्यकर्ताओं को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि देश-विशिष्ट रिपोर्टों में चर्चा की गई विभिन्न व्यक्तिगत धारणाओं के कुछ देशों में पशु-समर्थक व्यवहार के साथ मजबूत संबंध हो सकते हैं।
जैसा कि मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के मामले में था, भारतीय प्रतिभागियों का उपभोग से संबंधित धारणाओं का और चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा को लेने के बीच सबसे मजबूत संबंध था, हालांकि धारणा श्रेणियों में सभी पारस्परिक सम्बन्ध एक समान और कमजोर थे।
चिकन कल्याण याचिका हस्ताक्षर
चित्र 4: चिकन कल्याण याचिका के साथ अवधारणाओं का औसत सह–संबंध
टिप्पणियाँ:- चीन के राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक याचिका के इस्तेमाल की संभावना नहीं होने के कारण चीनी प्रतिभागियों से एकदम सामान्य रूप से उनके समर्थन के बारे में पूछा गया था। इस समर्थन के लिए औसत सहसंबंध का माप 0.07 था।
कनाडाई और अमेरिकी प्रतिभागियों में मुर्गियों के बारे में उनकी धारणाओं और चिकन कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने की इच्छा के बीच सबसे मजबूत औसत सहसंबंध थे, जबकि ब्राजील और भारतीय प्रतिभागियों की धारणाओं और चिकन कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने की इच्छा के बीच औसत सहसंबंध कम था। अमेरिका और कनाडा में पशु समर्थक कार्यकर्ता चिकन कल्याण के लिए याचिकाओं को बढ़ावा देने वाले संदेश में मुर्गियों की भावनाओं से संबंधित धारणाओं पर जोर देने पर विचार करने की सोच सकते हैं।
तालिका 11: चिकन कल्याण याचिका के साथ औसत अवधारणा श्रेणी के सहसंबंधों की रैंकिंग
टिप्पणियाँ:- चीन के राजनीतिक परिपेक्ष्य में इस याचिका के इस्तेमाल की संभावना नहीं होने के कारण चीनी प्रतिभागियों से एकदम सामान्य रूप से उनके समर्थन के बारे में पूछा गया था। चीनी प्रतिभागियों के बीच चिकन कल्याण समर्थन के सबसे मजबूत से सबसे कमजोर औसत पारस्परिक संबंध देखने के लिए धारणाओं की श्रेणियाँ भावनाएं, सामाजिक, व्यक्तित्व, बुद्धिमत्ता, अन्य, उपभोग और पीड़ा
चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के सहसंबंधों को प्रतिबिंबित करते हुए, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका इन सभी में भावनाओं से सम्बंधित धारणाओं और चिकन कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने के बीच सबसे मजबूत औसत सहसंबंध थे। इन देशों में पशु कल्याण समर्थक कार्यकर्ता जो मुर्गियों के कल्याण में सुधार पर केंद्रित याचिकाओं के लिए हस्ताक्षर की मांग कर रहे हैं, उनके संदेश में मुर्गियों की भावनाओं पर जोर देने से लाभ हो सकता है। ब्राजील और अमेरिका में, मुर्गियों की पीड़ा से सम्बंधित धारणाओं का सबसे मजबूत औसत सहसंबंध था, जिस पर पशु कल्याण समर्थक कार्यकर्ता अभियान को डिज़ाइन करते समय विचार करने की भी सोच सकते हैं। इसके विपरीत, चिकन कल्याण याचिका पर हस्ताक्षरों के लिए भारतीय प्रतिभागियों का सबसे मजबूत जुड़ाव “अन्य धारणाओं” की श्रेणी और उपभोग-संबंधी धारणाओं के साथ था। यद्यपि भारत में औसत सहसंबंध अन्य देशों की तुलना में कमजोर थे, उपभोग से सम्बंधित धारणा लगातार भारतीय प्रतिभागियों की पशु-समर्थक कार्रवाई करने की इच्छा के साथ सबसे मजबूत संबंधों में से एक थी।
निष्कर्ष
सामान्य तौर पर, पशु कल्याण समर्थक कार्यकर्ता यह उम्मीद कर सकते हैं कि ज्यादातर लोगों के मन में मुर्गियों और मछलियों को लेकर कुछ धारणाएँ होती हैं। कई देशों के अधिकांश लोगों का मानना है कि मछलियाँ सुंदर होती हैं, एक दूसरे से संवाद कर सकती हैं और दर्द महसूस कर सकती हैं। मुर्गियों को भी मुख्य रूप से दर्द को महसूस करने , संचार कर सकने और नकारात्मक भावनाओं में सक्षम होने के रूप में देखा जाता है।
ऐसी मान्यताएँ भी हैं जो अलग-अलग देशों में बहुत अधिक अलग हैं, जैसे कि यह धारणा कि मछली को घूमने-फिरने और व्यायाम करने के लिए जगह की आवश्यकता होती है, हमारे द्वारा सर्वेक्षण किए गए अधिकांश देशों की तुलना में भारत में यह धारणा बहुत ज्यादा सामान्य नहीं थी। इस बात को ध्यान में रखना कि किसी विशेष आबादी की क्या धारणा है, किसी भी पशु कल्याण कार्यकर्ता का मुख्य विचार होना चाहिए।
सभी देशों में धारणाओं और क्रिया-कलापों के बीच अलग-अलग प्रकार के संबंध देखे गए। कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों में धारणाओं और पशु-समर्थक व्यवहार के बीच उच्चतम औसत सहसंबंध था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इन देशों के लोगों की अपनी धारणाओं के आधार पर पशु-कल्याण की कार्रवाई करने की अधिक संभावना हो सकती है।
यूएस और कनाडा की तुलना
ऊपर वर्णित कारणों की वजह से सकता है कि पशु कल्याण कार्यकर्ताओं के लिए भारतीय संदर्भ में ध्यान केंद्रित करने के लिए लोगों की धारणा समीक्षात्मक तत्व ना हो । हालांकि, कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों के लिए, हमारे द्वारा सर्वेक्षण किए गए अन्य देशों की तुलना में पशु-सकारात्मक व्यवहार की दर कम थी और उनके औसत सहसंबंध अक्सर उच्चतम थे। हालांकि इन देशों के पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को उतने याचिका हस्ताक्षर या पशु को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञाएं नहीं मिल सकती हैं जितनी ब्राजील, चीन या भारत में मिल सकती हैं, वे ऐसे संदेशों का, जिसमे सबसे मजबूत सहसम्बंधों वाली धारणाओं को शामिल किया गया, उपयोग करके अंतर को कम करने में सक्षम हो सकते हैं।
हालांकि इन दोनों देशों के परिणाम अक्सर एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, लेकिन यूएस और कैनेडा की सीमा के दोनों तरफ काम करने वाले पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को कुछ प्रमुख अंतरों पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, कनाडा की तुलना में अमेरिका में मछली की खपत कम करने के वायदे के साथ मछली की पीड़ा से सम्बंधित धारणा का सबसे मजबूत सहसम्बन्ध था, इस से यह संकेत मिलता कि एक जैसे संदेशों का उपयोग करने के बावजूद पशु कल्याण कार्यकर्ता कनाडा की तुलना में अमेरिका में मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञाओं में अधिक वृद्धि देख सकते हैं।
(सहसंबंधों की मजबूती के बारे में अतिरिक्त जानकारी तालिका 12-15 में पूरक सामग्री या देश-विशिष्ट रिपोर्ट में पाई जा सकती है।)
कुल मिलाकर, अमेरिका और कनाडा के प्रतिभागियों के बीच धारणाओं और याचिका हस्ताक्षरों के बीच औसत सहसंबंध बहुत हद तक एक समान थे। हालांकि, आहार प्रतिज्ञाओं के लिए कैनेडा के लोगों का औसत सहसंबंध अमेरिकी प्रतिभागियों की तुलना में तो कमजोर है, जबकि ब्राजील के प्रतिभागियों के सहसंबंधों से बहुत ज्यादा मिलता-जुलता है । इससे पता चलता है पशु कल्याण कार्यकर्ता इन पड़ोसी देशों में याचिका हस्ताक्षरों पर एक समान उठाव देख सकते हैं, लेकिन जरुरी नहीं कि पशु को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञाओं के मामले में भी ऐसा ही हो । दूसरे शब्दों में, पशु कल्याण कार्यकर्ता को इस बात को मानने में सावधान रहना चाहिए कि दोनों देशों में समान रणनीतियों के हमेशा समान परिणाम होंगे।
भारतीय पक्ष के समर्थन में कमजोर सहसम्बन्धों का क्या अर्थ है?
भारत के प्रतिभागियों में अन्य देशों के निवासियों की तुलना में लगातार कमजोर औसत सहसंबंध थे। क्योंकि लगभग तीन-चौथाई भारतीय प्रतिभागी पशु को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा लेने या पशु कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक थे, भारत में काम करने वाले पशु कल्याण कार्यकर्ता अपने संसाधनों के बड़े हिस्से को किसी ख़ास अवधारणा के सन्देश देने में निवेश करने की बजाय केवल वायदा या हस्ताक्षर करने को कहने पर विचार कर सकते थे।
कल्याण याचिका बनाम आहार प्रतिज्ञा
प्रत्येक देश में जिसमें याचिका प्रश्न पूछा गया था, उसमे मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञाओं की तुलना में मछली कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर स्वीकार करना अधिक सामान्य था। चिकन कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर और आहार में शामिल ना करने के वादों के बारे में भी यही सच है, भारत एक अपवाद के रूप में है जहां चिकन को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा करना थोड़ा अधिक सामान्य था। यह समग्र प्रवृत्ति बताती है कि लोग अपनी जीवन शैली में व्यापक स्तर पर बदलाव करने के बजाय कुछ सेकेण्ड का समय निकाल कर कल्याण याचिका पर हस्ताक्षर करने में ज्यादा इच्छुक हैं।
ब्राजील और अमेरिका में, याचिका हस्ताक्षरों की तुलना में धारणाओं और आहार प्रतिज्ञाओं के बीच औसत सहसंबंध थोड़ा मजबूत था, जिसका अर्थ यह हो सकता है कि चिकन और मछली की खपत को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने वाले पशु कल्याण कार्यकर्ताओं के धारणाओं पर ज्यादा जोर देने से इन देशों में के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
मछली के समर्थन में कार्रवाई बनाम चिकन समर्थन में कार्रवाई
यद्यपि प्रत्येक देश में चिकन समर्थित क्रियाओं में मछली समर्थित क्रियाओं की तुलना में बहुत कम मजबूत औसत सहसंबंध थे, शायद ये अंतर नगण्य हैं। दूसरे शब्दों में, धारणाओं और क्रियाओं के आपसी संबंधों से मछलियाँ और मुर्गियाँ दोनों ही लाभान्वित होते हैं। इसका एक अपवाद चीन में आहार प्रतिज्ञा है, जहां प्रतिभागियों के पास चिकन आहार प्रतिज्ञा की तुलना में मछली आहार प्रतिज्ञा की धारणा के बीच मजबूत संबंध थे।
आहार प्रतिज्ञा मतभेद
ब्राजील में, चिकन की खपत में कमी अब तक सबसे ज्यादा तेजी वाली पशु कल्याण समर्थक कार्रवाई थी कनाडा और अमेरिका में, समान अनुपात के प्रतिभागियों ने चिकन और मछली को आहार में शामिल ना करने की प्रतिज्ञा के लिए वायदे किये। चीन और भारत में, मछली आहार प्रतिज्ञा की तुलना में थोड़ा अधिक प्रतिभागी चिकन आहार प्रतिज्ञा लेने के इच्छुक थे। ये निष्कर्ष सिर्फ एक उदाहरण हैं कि अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में काम करने वाले पशु कल्याण कार्यकर्ता को यह निर्धारित करते समय कि वे कौन से अभियान चलाएंगे विभिन्न देशों की सांस्कृतिक और आहार संबंधी विभिन्नताओं पर विचार करना चाहिए, कुछ विचारों के लिए ग्रहणशीलता अलग-अलग देशों में अलग- अलग हो सकती है। धारणाओं और पशु कल्याण समर्थक कार्यों के बीच सहसंबंधों में अंतर को इस बात से रेखांकित किया जा सकता है कि कैसे समान व्यवहार बहुत भिन्न धारणाओं से जुड़े हो सकते हैं।
पशु–सकारात्मक व्यवहार के लिए बाधाएं
हर देश में पशु-समर्थक कार्यों में बाधाएँ भी आती हैं और पशुओं के कल्याण के समर्थन में अभियान तैयार करते समय इस पर विचार किया जाना चाहिए। हालांकि एक पैमाना जिसे पूरी तरह तो कहा जा सकता , प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद है जो नागरिकों की संपत्ति के औसत को मापने का एक तरीका है, और ब्राजील, चीन और भारत (सीआईए, 2020) जैसे देशों की तुलना में अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में काफी अधिक है । अमीर देशों में धारणाओं और कार्यों के बीच सहसंबंध अधिक हो सकते हैं क्योंकि उनकी आबादी संसाधनों तक आराम से पहुंच सकती है जो कम अमीर देशों की आबादी के लिए इतना आसान नहीं होता है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका का एक निवासी पशुओं के बारे में अपनी धारणाओं के आधार पर आहार विकल्प चुनने में सक्षम हो सकता है क्योंकि उसके देश में वैकल्पिक प्रोटीन स्रोत आराम से उपलब्ध हैं। सभी देशों में ऐसा नहीं हो सकता है। इसी तरह, कुछ देशों में घर के पीछे बाड़ा बनाकर मुर्गी पालना काफी प्रचलित हो सकता है और वहाँ के निवासी इस तरह की याचिका, जो उनके मुर्गी पालन के नियमों में बदलाव ला सकती हैं, को लेकर काफी एहतियात बरत सकते हैं।
दूसरे शब्दों में, पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को न केवल इस बात पर विचार करना चाहिए कि कौन से संदेश अधिक पशु-समर्थक कार्रवाई उत्पन्न कर सकते हैं, बल्कि यह भी कि किस जगह की आबादी के लिए कौन सी चीज़ बाधा बन सकती हैं।
भविष्य की दिशाएं
भविष्य में इस विषय पर भविष्य के शोध की कई दिशाएँ हो सकती हैं। शोधकर्ता और कुछ देशों में शोध कर सकते है,और कुछ और विचाधाराओं की पहचान कर सकते हैं। विभिन्न जानवरों या विभिन्न धारणाओं के बारे में जांच भी पशु कल्याण कार्यकर्ताओं के लिए फायदेमंद हो सकती है। इन मान्यताओं के लिए अधिक से अधिक सांस्कृतिक संदर्भ और वे पशु-समर्थक व्यवहार को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है कि पशु कल्याण कार्यकर्ता यथासंभव प्रभावी हो सकें। और भी व्यापक पैमाने पर देखा जाए तो इस शोध के परिणाम यह सुनिश्चित करने के लिए देश-विशिष्ट शोध की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं कि पशु कल्याण समर्थित अभियान यथासंभव प्रभावी हैं।
पूरक सामग्री
विस्तृत धारणा श्रेणी परिणाम
तालिका 12 से 15 में देश के अनुसार धारणा श्रेणियों और पशु कल्याण समर्थित कार्यों के बीच औसत सहसंबंध गुणांक और मानक विचलन शामिल हैं। परिणाम सबसे मजबूत सम्बन्ध से सबसे कमजोर सम्बन्ध के क्रम में दिए गए हैं।
तालिका 12: मछली आहार प्रतिज्ञा के साथ औसत धारणा श्रेणी सहसंबंधों की विस्तृत रैंकिंग
तालिका 13: मछली कल्याण याचिका के साथ औसत धारणा श्रेणी सहसंबंधों की विस्तृत रैंकिंग
तालिका 14: चिकन आहार प्रतिज्ञा के साथ औसत धारणा श्रेणी सहसंबंधों की विस्तृत रैंकिंग
तालिका 15: चिकन याचिका के साथ औसत धारणा श्रेणी के संबंधों की विस्तृत रैंकिंग
सहसंबंध गुणांक का वितरण
चित्र 5 से चित्र 8 व्यक्तिगत धारणाओं और आहार प्रतिज्ञा या कल्याण याचिका की वृद्धि के बीच सहसंबंध गुणांक के वितरण को दर्शाता है, व्यापक भागों के प्रत्येक वितरण के साथ सहसंबंध के इस स्तर पर अधिक प्रतिक्रियाओं का संकेत मिलता है। प्रत्येक आँकड़े के नमूने विभिन्न देशों में सहसंबंध गुणांकों के सामंजस्य में अंतर प्रकट करतें हैं। उदाहरण के लिए, भारत के प्रतिभागियों में उनकी धारणाओं और व्यवहार के बीच सहसंबंध की ताकत में लगातार कम होने की प्रवृत्ति थी, खासकर जब कनाडा और अमेरिका के प्रतिभागियों से तुलना की गई ।
चित्र 5: देश अनुसार मत्स्य प्रतिज्ञा के साथ सहसंबंध गुणांकों का वितरण
चित्र 6: देश अनुसार मछली याचिका के साथ सहसंबंध गुणांक का वितरण
चित्र 7: देश अनुसार चिकन प्रतिज्ञा के साथ सहसंबंध गुणांकों का वितरण
चित्र 8: देश अनुसार चिकन याचिका के साथ सहसंबंध गुणांक का वितरण

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Aquatic Wildlife | Asia | Attitudes | Brazil | Canada | China | Commercial Fishing | Factory Farming | Hindi | India | International | Meat Consumption | Meat Reduction | North America | Psychology | South America | Translated
Wulderk, Z., Quaade, S., Anderson, J., Dillard, C., Sánchez-Suárez, W., & Beggs, T. (2022). मछलियों और मुर्गियों के बारे में धारणाओं की तुलना करना और पूरे देश में पशु- सकारात्मक व्यवहारों से उनका संबंध. Faunalytics. https://faunalytics.org/chicken-and-fish-2-comparative-hindi/
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