औद्योगिक मत्स्य पालन के प्लास्टिक उपकरणों से हानि
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औद्योगिक मत्स्य पालन और प्लास्टिक कचरा
समुद्री क्षेत्रों में औद्योगिक मछली पकड़ने के परिणामस्वरूप समुद्री जीवों और उनके आसपास के पारिस्थितिक तंत्र पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। अनुमान के अनुसार, समुद्र में समुद्री जहाज़ों की संख्या 0.46 करोड़ हो गई है जिस कारण पानी में मछली पकड़ने के उपकरणों (जिनमें, फ़ेंके हुए, खोए हुए या छोड़े हुए उपकरण शामिल हैं) का स्तर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। समुद्र में जमा होने वाले प्लास्टिक मलबे में अक्सर समुद्री जानवर फँस जाते हैं या घायल हो जाते हैं, इसे “घोस्ट फ़िशिंग” कहा जाता है। इस तरह, ये उपकरण स्थानीय भित्तियों (रीफ़) और समुद्री वातावरण को नुकसान पहुँचाते हैं। क्योंकि मछली पकड़ने के उपकरण अब पहले की तुलना में अधिक सिंथेटिक और मज़बूत बनाए जाने लगे हैं इसलिए यह लंबे समय तक बने रहने वाला ख़तरा पैदा करते हैं।
समुद्र में जमा होने वाले उपकरणों की मात्रा निर्धारित करने के तरीके सीमित हैं। क्योंकि अधिकांश मछली पकड़ने वाले जहाज़ों का सीधे निरीक्षण करना संभव नहीं है, शोधकर्ताओं को अनुमानों पर भरोसा करना पड़ा है। हालांकि, अध्ययन के समय, लेखक इस बात पर रौशनी डालते हैं कि खोए हुए प्लास्टिक उपकरणों पर वर्तमान, सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं थे। नतीजतन, औद्योगिक मत्स्य पालन के प्रभावों को विशेष रूप से ध्यान में रखने के लिए वे एक नया अनुमान विकसित करना चाहते हैं। विश्वसनीय डेटा का होना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अधिवक्ताओं और नीति निर्माताओं को इस समस्या के दायरे को समझने में मदद मिलेगी।
क्या उपलब्ध है इसका अनुमान लगाना
अपना अनुमान तैयार करने के लिए, शोधकर्ताओं ने मछली पकड़ने वाले जहाज़ों की सैटेलाइट और रिमोट इमेजरी, संयुक्त राष्ट्र एफएओ से पकड़ी और फ़ेंकी गई मछलियों के आँकड़ों के साथ-साथ मछली पकड़ने के उपकरणों के तकनीकी मॉडल का इस्तेमाल किया। इन आँकड़ों में छोड़े गए या लापरवाही से फेंके गए मछली पकड़ने के उपकरण शामिल नहीं हैं। इसके साथ ही ये अनुमान छोटे पैमाने और स्थानीय मत्स्य पालन के साथ-साथ घोस्ट शिप (भूतिया जहाज़ों) को भी नज़रअंदाज़ करते हैं।
इन सीमाओं के बावजूद, लेखकों ने पाया कि औद्योगिक सीनिंग, ट्रॉलिंग और लॉन्ग लाइन मछली पकड़ने की गतिविधियों के कारण 2018 में औसतन 48.4kt (किलोटन) मछली पकड़ने के गियर का नुकसान हुआ है। उस वर्ष, औद्योगिक मछली पकड़ने की गतिविधियों ने लगभग 50 मेगाटन मछली पकड़ी थी, जो पकड़ी गई मछलियों की संख्या का 74% हिस्सा था।
मछली पकड़ने के दो प्रकार के उपकरण जो आमतौर पर खो जाते हैं वे हैं सेट गिलनेट और फिश-एग्रीगेट डिवाइस (dFAD’s)। क्योंकि समुद्री जहाज़ों से गिरने वाले उपकरणों की जाँच करने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए खोए हुए उपकरणों का अनुमान लगाने वाले स्वतंत्र मॉडल विकसित किए गए जिन्हें उन मॉडलों के साथ मिलाया गया जो मछली पकड़ने के जहाज़ों के प्रयास की तीव्रता को मापते हैं (दूसरे शब्दों में, जितना समय वे समुद्र में बिताते हैं, उसकी तुलना में वे कितनी मछलियाँ पकड़ते हैं)।
खोए हुए उपकरणों से निपटना
छोड़े गए, खोए हुए या फेंकें गए मछली पकड़ने के उपकरण (ALDFG) समुद्र में जमा होने वाले प्लास्टिक के मलबे का बहुत बड़ा कारण हैं। इन उपकरणों और अचिह्नित जहाज़ों के कारण, कई मछलियाँ इनमें फँस जाती हैं और ये पारिस्थितिक तंत्र को भी बेहद क्षति पहुँचाते हैं, इसके अलावा ऐसी गतिविधियों या उनसे पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का कोई रिकॉर्ड भी नहीं है। दुनिया भर में समुद्री भोजन की बढ़ती खपत के कारण मछली पकड़ने की गतिविधियाँ दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं। इससे न केवल समुद्री जीवन और उनके पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव पड़ता है बल्कि यह समुद्री खाद्य स्रोतों पर निर्भर स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य (और अक्सर आजीविका) को भी ख़तरे में डालता है। पशु अधिवक्ता इस डेटा का उपयोग इस बात पर ज़ोर देने के लिए कर सकते हैं कि खोए हुए मछली पकड़ने के उपकरण गंभीर चिंता का विषय है जिसे नीति निर्माताओं और वैश्विक शासी निकायों को हल करने की आवश्यकता है।
